सुनने में यह जरूर अटपटा सा लग रहा होगा कि अपने हिस्से कि ऑक्सीजन खुद कैसे बनाये?
तो भैया हम दिन भर ऐसे बहुत से काम करते रहते हैं जो पर्यावरण के लिए नुकसानदेह हैं हमारे घर में चलने वाले ऐसी, फ्रिज, सी एफ एल सड़क पर चलने वाली गाड़ियों से निकलता हुआ धुआं और भी न जाने क्या क्या. जाने या अनजाने में हम अपने वातावरण को कुछ नुक्सान पंहुचा रहे हैं . कभी सोचा है आपने कि क्या आप अपने हिस्से कि ऑक्सीजन भी बना सकते हैं. स्पष्ट तौर पर अगर कहा जाये तो आज समय कि आवश्यकता है कि हम सब पर्यावरण कि दिशा में कुछ करें . सरकारी या गैरसरकारी ........ राजनेतिक या गैर राजनीतिक ........ हर किसी के पास सारे मुद्दे हैं . पर्यावरण भी एक मुद्दा है लेकिन कोई सीरियस नहीं है .
कभी सोचा है अपने कि कल आने वाले समय में हमारे बच्चों के पास पीने के पानी और सांस लेने कि हवा की दिक्कत भी होगी? कभी सोचा है अपने कि क्यों हर साल अनिश्चित गर्मी, सर्दी और बरसात का तांडव होने लगा है? आने वाले समय में ये सब और जानलेवा हो जायेगा.
तो क्यों न आने वाले समय के लिए कुछ अच्छा कर जायें .
आइये एक पेड़ लगायें. हर व्यक्ति ऐसा करे और दूसरे को प्रेरित करे कि वो भी एक पेड़ लगायें . आप चाहे इसे ज़मीन में चाहे गमले में चाहे तो टूटे हुए बल्ब में पानी डालकर मनीप्लांट लगायें.
अरे कुछ तो अच्छा दें अपने अगली पीढ़ी को.
मुझे याद है कि ऑस्ट्रेलिया में 'ग्रीनर एंड क्लीनर ऑस्ट्रेलिया' अभियान चलाया गया था लगभग २५ साल पहले. जिसमे पत्रिकाओं में पाउच चिपका कर उसमे तमाम पेड़ों के बीज वहां कि जनता तक पहुंचाए गए (जैसे हमारे यहाँ शेम्पू मिलता है कभी कभी) . लोगों ने इस अभियान में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया . उन बीजों को लगा कर उनकी देखभाल की और एक सम्पूर्ण पेड़ बनाया. आज इतना समय बीत जाने पर हर तरफ हरियाली होना उसी अभियान की दें है.
अगर आप के अन्दर संवेदना के कुछ तत्त्व हैं और आप भी आने वाली पीढ़ी के प्रति कुछ अच्छा सोच सकने की भावना रखते हैं तो चलिए पेड़ लगायें.
अगर लगा चुके हैं ............ तो और लगायें साथ ही दूसरों को प्रेरित करें की वो भी ऐसा करें.
मेरे यहाँ आइये और देखिये कि मैं अपने अलावा दूसरों के लिए भी ऑक्सीजन बना रहा हूँ बहुत सारे पेड़ पौधे लगा कर. क्या आप interested हैं ???
badhiay post hai
ReplyDeletekya baat hai, now ur .......... person. keep it up.
ReplyDeleteAao ek ped lagayen , aao ek ped bachayen ,Chalo ek gamla khareed layen , ek nanha sa paudha lagayen fir uske saath muskrayen
ReplyDeletesuperb chacha
ReplyDeleteपर्यावरण के पंचतत्वों में सबसे ऊपर जल और वायु का स्थान है, जिनके बिना जीवन का अस्तित्व ही नहीं है। यदि जीवन को बचाना है, तो पानी को बर्बादी से बचाना है, वर्षा जल का संचयन करने और अधिक से अधिक पेड़/पौधे लगाने के अलावा अन्य कोई विकल्प ही नहीं है। आनन्द जी के विचारों पर समय रहते गंभीरता पूर्वक अमल करना अपरिहार्य है, अन्यथा जीवन ही समाप्त हो जयेगा।
ReplyDelete🙏
ReplyDeleteWaaaah bhai. Bahut khub ❤️👌👌👌
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