आज फिर वही हुआ जिसका डर था अयोध्या प्रकरण पर आने वाले फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने फिलवक्त रोक लगा दी . न्यायलय ने जो रोक लगे है वो अभी की रोक है .......... आगे भी कठिन न्याय प्रक्रिया है ........ यहाँ आदेश आने के बाद भी सब कुछ इतना आसान नहीं है.
लोग एक दूसरे को एस एम एस भेज कर कह रहे हैं हम हिन्दू और मुसलमान बाद में हैं ....उसके पहले हिन्दुस्तानी हैं. ये बातें एक आम आदमी बखूबी समझता है की हम सब हिन्दुस्तानी हैं. प्रॉब्लम तो राजनितिक स्तर पर है . वो सब हमको भुलवा देते हैं की हम हिन्दुस्तानी हैं .....और बार बार याद दिलाते हैं कि तुम हिन्दू हो तुम मुस्लमान हो तो तुम किसी और धर्म के हो.
पहले आइये उन नेताओं को समझाएं कि वो भी हिन्दुस्तानी हैं ..... हम सामान्य व्यक्यितों से ज्यादा उनको समझने कि जरुरत है कि हिन्दुस्तानी कौन है और हिंदुस्तान क्या है.
अब रहा सवाल फैसला आने का तो भाई सारे समीकरण तो राजनीती के दरबार में बनते बिगड़ते हैं. फैसला तो अभी नहीं कितने साल से रुका ही हुआ है. सभी लोग अपनी अपनी राय देते रहे हैं और देते रहेंगे . आम आदमी के perspective से अगर देखा जाये तो बहुत कुछ ऐसा है जो नहीं होना चाहिए . यहाँ तक कि आम आदमी बहुत ज्यादा कंसर्न भी नहीं है .
सभी धर्मो का आदर होना चाहिए ये बात सही है. मेरी कही हुई बातों को समझने के लिए आप यहाँ आम आदमी कि इमेज आर के Laxman के कार्टून से ले सकते हैं. वो आम आदमी जो कि सुबह से शाम तक रोज़ी रोटी कि हौच-पौच में अपना दिन बिता देता है ........ वो आम आदमी जो दिन भर ये सोचता रहता है आने वाले सर्दी के दिनों में बिटिया कि शादी ब्याह का इंतज़ाम कैसे होगा? ........... चौराहे पर खोमचा लगाने वाला हर मेहनतकश इंसान जो सुबह होते ही अपनी तैय्यारी में लग जाता है और निश्चित समय पर अपनी जगह पर चाय, चने, पान, या चाट इत्यादि लगा कर ग्राहक कि बाट जोहता है. ............... वही है हमारा आम आदमी. ................. दिन भर मेहनत से रिक्शा चला कर पसीना बहा कर पांच-छः रुपये के लिए आँखों में चमक लिए ......... यही है हमारा आम आदमी .
उसका कोई फायदा हो मंदिर या मस्जिद बना कर तो कृपया जरुर बनाएं . जनता के लिए सरकार द्वारा दिया या किया जाने वाला कोई भी लाभ तब उचित है जब वो लाभ लाइन में खड़े हुए अंतिम आदमी तक पहुंचे ....वरना सारे प्रयास मेरी समझ से व्यर्थ हैं.
ऊपर describe किये हुए आम व्यक्ति से राय जरुर लें ...और देखें उसका जवाब क्या होगा. .... जरा सोचिये.......!!! वैसे जब मामला न्यायिक प्रक्रिया में है तो किसी को अब कुछ कहने कि जरुरत नहीं है क्यों कि न्याय हमेशा से आदर का पात्र रहा है और अब तो इस कलयुग में और भी आदरणीय हो गया है. हम सब उसका सम्मान करते हैं.
लेकिन अगर सोचिये तो ये लड़ाई हिन्दू मुस्लिम कि नहीं है. ये लड़ाई तो अपने अपने राजनीतिक अस्तित्व को बनाये रखने की है.
सोचो दुनिया वालों कुछ तो सोचो. .......!!!! भगवान् मंदिर मस्जिद या गुरूद्वारे में नहीं बसता ........ दीवारों और मीनारों में उसे हम नहीं समेट सकते ........ उसका स्वरुप इतना बड़ा है कि हमारी उसके आगे क्या हस्ती.... जो हम उसे कहीं स्थापित करें ...... या कहीं से हटा दें. ..... और तब जब हम कहते हैं कि भगवान् तो हर चीज में है........ भगवान् अगर हमारे घर के मंदिर में है तो हमारे बेडरूम में हमारे किचेन में .....हमारे घर कि बैठक में ....और यहाँ तक कि ट्वायलेट में भी होना चाहिए ...... क्यों कि ऐसा हम मानते हैं. .... वैसे जब सब जगह है तो हमारे अन्दर भी होगा ..... और जब हमारे अन्दर है तो कहीं दूर जाकर ढूढने कि जरुरत क्या. ....... 'अहम् ब्रह्मास्मि'.
इसका मतलब हर एक व्यक्ति के अन्दर भगवान् का वास है. तो भाई इंसानियत से रहो और इंसानियत दिखाओ ...... इंसानियत मतलब-------- इंसान कि नीयत. जब हमारे तुम्हारे सबके अन्दर ही भागवान है तो लड़ाई किस बात कि है .
अरे कुछ अच्छा सोचो जी आज के इस युग में ..... दुनिया के आगे क्यों उडवाते हो हिंदुस्तान का मज़ाक ........... क्यों गिराते हो सबकी नज़रों में अपने देश को.......... जो काम अंग्रेजों ने किया सब जानते हैं ..... आदमी आदमी के बीच में फूट दाल कर राज करते रहे ........ लेकिन ये भी याद रखो कि आज हिंदुस्तान को लूटने वाले अंग्रेजों के नाम पर ही हमारे कुत्तों के नाम रखे जाते हैं .....उदाहरण ........ टोमी ..... लूसी .... ब्रूनो ....जैकी ...... रोमीओ ...... रोज़र ..... मार्क्स ..... जूली .... रौकी ....इत्यादि.
तो देश को के लोगों को बेवकूफ बना कर लूटने वाले राजनेताओं ..... होशियार हो जाओ ...... बदलाव होता ही है ..और होगा भी ... ऐसा न हो कि कुत्तों कि एक और जमात तैयार हो जाये नयी नामावली के साथ.
(नोट - कृपया ध्यान दें कि हर नेता ऐसा नहीं है ...... exceptions are always there ... पर बहुत कम )
चलते चलते एक चुटकुला सुनते जाइये:
गुरु जी - अगर एक नाव में देश के सारे बड़े नेता बैठे हों और बीच सागर में नाव डूब जाये तो कौन बचेगा?
पप्पू - जी देश बचेगा गुरु जी.
"सबको सन्मति दे भगवान् "
Thursday, September 23, 2010
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Asali Faisla to common man ko karna hai, vo chahe Hindu ho ya Muslim.Agor vo faisla kar len ki Netaon ke bahkave me nahi ayenge to..Fiasla kuch bhi aye ...fark nahi Pagega. Aaamin
ReplyDeleteNice bhaiya !
ReplyDeletethik keeha yani likha aapne .yehi bhavna aam vyakti ki hai .
ReplyDeleteper kya neta log ye sab nahi jante ?
sab jante bhi hain mante bhi .per kerte nahi .akhir kab tak .
janta chain se nahi reh peyegi ?
desh ke her kone mein aisa mahoul banaya jaa reha hai jaise grh yudhdh hone jaa reha ho .
puri tayari .per kis liye ?or kaise kiske khilaf .aam admi ke hi ?
kaise paar paya jayega .
insaniyat ke perokaar hai koi ? kehan hain ?
an ye coomon man hi to netao ko chunta hai
ReplyDeleteuse samjhana chhiye inki asliyat
bilkul thik kaha hai sir aapne...insan khud ko sudhaar le..duniya apneaap sudhar jaegi...
ReplyDeletekas india me casteism na hota...to hum gujarati, marathi , punjabi, north indian, south indian ki bjae sirf INDIAN hote...jo ki hum ni hai...saare padhe likhe gawar hai..kuch ko chhod ke...
apka ye blog pooore india ko padhna chaiye..hats off for this wonderful thought..
waah anand ji...aap jaisi soch sabki hoti to na aaj talibaan hote na maovadi or na ugrwadi...rajneeti me gandagi hai ye sab mante hai to door baithkar I hate politics kahne se accha hai usme ghus kar uski safai ki jaye.
ReplyDeletePal Pal Aasha aur Niraasha,
ReplyDeleteGhamasaan man ko ghere;
Jit dekhu ghanghor kaalima,
Sukun nahi tan ko mere.
Hriday dravit palke bhigee see,
Soch raha ankhiyan meeche;
Kyon kar Insaa bat sakta hai,
Kyon gir sakta itna neeche.
Oopar ek aasma apne,
Neeche dhara ek hi hai;
Kyon mandir masjid ki sonche,
Jab Ishwar Allah ek hi hai.
Mil kar ek rahe hum sab aur,
Baante ek duje ke gam;
Kyon auron ko dukh pahuchaye,
Kyon ho sabki aankhe nam.