Tuesday, May 11, 2010

अपने हिस्से कि ऑक्सीजन कैसे बनाएं ?

कृपया अपने हिस्से की ऑक्सीजन खुद बनाइये


सुनने में यह जरूर अटपटा सा लग रहा होगा कि अपने हिस्से कि ऑक्सीजन खुद कैसे बनाये?

तो भैया हम दिन भर ऐसे बहुत से काम करते रहते हैं जो पर्यावरण के लिए नुकसानदेह हैं हमारे घर में चलने वाले ऐसी, फ्रिज, सी एफ एल सड़क पर चलने वाली गाड़ियों से निकलता हुआ धुआं और भी न जाने क्या क्या. जाने या अनजाने में हम अपने वातावरण को कुछ नुक्सान पंहुचा रहे हैं . कभी सोचा है आपने कि क्या आप अपने हिस्से कि ऑक्सीजन भी बना सकते हैं. स्पष्ट तौर पर अगर कहा जाये तो आज समय कि आवश्यकता है कि हम सब पर्यावरण कि दिशा में कुछ करें . सरकारी या गैरसरकारी ........ राजनेतिक या गैर राजनीतिक ........ हर किसी के पास सारे मुद्दे हैं . पर्यावरण भी एक मुद्दा है लेकिन कोई सीरियस नहीं है .

कभी सोचा है अपने कि कल आने वाले समय में हमारे बच्चों के पास पीने के पानी और सांस लेने कि हवा की दिक्कत भी होगी? कभी सोचा है अपने कि क्यों हर साल अनिश्चित गर्मी, सर्दी और बरसात का तांडव होने लगा है? आने वाले समय में ये सब और जानलेवा हो जायेगा.
 
तो क्यों न आने वाले समय के लिए कुछ अच्छा कर जायें .
 


आइये एक पेड़ लगायें. हर व्यक्ति ऐसा करे और दूसरे को प्रेरित करे कि वो भी एक पेड़ लगायें . आप चाहे इसे ज़मीन में चाहे गमले में चाहे तो टूटे हुए बल्ब में पानी डालकर मनीप्लांट लगायें.

अरे कुछ तो अच्छा दें अपने अगली पीढ़ी को.
 

मुझे याद है कि ऑस्ट्रेलिया में 'ग्रीनर एंड क्लीनर ऑस्ट्रेलिया' अभियान चलाया गया था लगभग २५ साल पहले. जिसमे पत्रिकाओं में पाउच चिपका कर उसमे तमाम पेड़ों के बीज वहां कि जनता तक पहुंचाए गए (जैसे हमारे यहाँ शेम्पू मिलता है कभी कभी) . लोगों ने इस अभियान में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया . उन बीजों को लगा कर उनकी देखभाल की और एक सम्पूर्ण पेड़ बनाया. आज इतना समय बीत जाने पर हर तरफ हरियाली होना उसी अभियान की दें है.


अगर आप के अन्दर संवेदना के कुछ तत्त्व हैं और आप भी आने वाली पीढ़ी के प्रति कुछ अच्छा सोच सकने की भावना रखते हैं तो चलिए पेड़ लगायें.

अगर लगा चुके हैं ............ तो और लगायें साथ ही दूसरों को प्रेरित करें की वो भी ऐसा करें.

मेरे यहाँ आइये और देखिये कि मैं अपने अलावा दूसरों के लिए भी ऑक्सीजन बना रहा हूँ बहुत सारे पेड़ पौधे लगा कर. क्या आप interested हैं ???

Monday, May 3, 2010

आने वाला पल जाने वाला है .....


कई दिनों से सोच रहा था कि बहुत कुछ मन में है ..... कासे कहूँ ? कोई रास्ता समझ में नहीं आ रहा था । जीवन की आपाधापी में अपने आप को खोने सा लगा था जो पहले का वास्तविक आनंद था वो कहीं खो सा गया था। इसी सब में जहाँ बहुत कुछ पाया वहीँ बहुत कुछ खोया भी। समय बीतता जा रहा है । आने वाला पल जाने वाला है। ये सब इतना तुरंत है की हम सोच भी नहीं सकते। ये 'पल' आया .....और ये चला गया। बंद हथेली में से रेत की तरह जीवन के चालीस वर्ष कब निकल गए पता ही नहीं चला। अब इस स्थिति में समय कम है और काम ज्यादा। अब तो चेतो ........ गुरु आनंद ! वरना जीवन के अपरान्ह काल में सिर्फ खाली मुट्ठी रह जाएगी। ये ब्लॉग भी अपने आप में अनोखा माध्यम है। अपने आपको या पूरी दुनिया को 'बुरा'.......... या 'भला' कह सकते हो। मैं कंप्यूटर के बहुत करीब लेकिन ब्लॉग से बहुत दूर रहा। इसको लिखने की प्रेरणा माननीय राजीव ओझा जी से मिली , उन्होंने ही प्रेरित किया की मैं ब्लॉग लिखना शुरु करूँ। ये कोई तंत्र मन्त्र वाले ओझा नहीं हैं लेकिन जादू कमाल का करते हैं अपनी लेखनी से ( http://rajubindas.blogspot.com/ ) । अब आज लिखते लिखते समझ में आ गया की भैया ब्लॉग बहुत काम की चीज है।

आज तो इतना ही बाकी अब जीवन का हर पक्ष और विपक्ष लिखने का प्रयास करता रहूँगा। जीवन के विभिन्न कालों में हुई घटनाएं , पुराने दोस्त, बचपन की यादे, स्कूल कॉलेज और न जाने क्या क्या। सब दिमाग में आ रहा है।


फिर मिलेंगे! होर्न प्लीज़ !

ओके टाटा

बुरी नज़र वाले तेरा मुह काला !

:)