Monday, July 2, 2012

Maa

 माँ 

तूने ठुकरा दिया आज मुझको
धक्के देकर निकल दिया घर से मेरे
पर क्या करूँ ?
माता कभी कुमाता नहीं हो सकती.
तू भले ही कुछ कर ले मेरा
पर मैं तुझे हमेशा माफ़ कर दूंगी
क्योंकि तू तो मेरे पूत है रे .
कितना खुश हुई थी, जब पहली बार
मेरी कोख में लात मारी थी, तूने मुझे
वो तेरी लात एक नयी उर्जा लेकर आई थी
मेरे लिए......और मिला था मुझे आगे जीने का सहारा.
और आज तूने जो लात मरी है मुझे
धक्का लगा है दिल पर
और जीने की कोई इच्छा नहीं रही.
काश उस दिन कोख में खायी लात से
आदत डाल लेती ....... लात खाने की
तो आज इतनी तकलीफ नहीं होती.
याद रखना तेरी एक लात ने माँ को नया जीवन दिया था
और अब तेरी इस लात ने उसका सब कुछ छीन लिया.
अब तू जहाँ भी रहे खुश रहे
तेरा बेटा जब मेरी बहू की कोख में
उसे लात मारे तो उसे बोल देना
कि वो खुश न हो.................
क्योंकि आने वाला समय किसने देखा है.

Sunday, May 6, 2012

पुराने दिन, नए दिन
कितना बदल गया सब कुछ
पहले साईकिल पर रोज़ स्कूल जाते थे
आज दो कदम भी पैदल चलना अच्छा नहीं लगता
पहले आइस-पाइस और छुपन-छुपाई दिन भर चलती थी
आज फेसबुक से फुर्सत नहीं मिलती
पहले ब्लैक एंड व्हाईट टी वी के लिए
दिन भर इंतज़ार होता था शाम होने का.
अब २४ घंटे टी वी आता है, लेकिन एड आते ही  बदल जाता है चैनल
और सब्र नहीं कर सकते दो मिनट.
पूरी प्याली चाय चुस्की ले लेकर पीते थे कभी
आज मोबाइल पर बात करते करते
कब चाय में मलाई जम जाती है , पता नहीं चलता
घर के पास से जब ट्रेन निकलती थी
तो खिड़की पर आकर हर ट्रेन देख लेते थे
आज पता ही नहीं चलता कि ट्रेन कब निकल गयी
हर दिन दोस्तों के साथ बीत जाता था पहले,
आज दोस्ती भी वर्चुअल हो गयी है.
कभी कभी खुले आसमान के नीचे पिकनिक भी मन लिया करते थे,
आज समय मिलता है तो, बंद माहौल में मॉल में बीत जाता है.
कितने दिन हो गए हैं
छत पर चारपाई पर लेट कर तारे देखे हुए.
हरी घास पर बैठ कर, घास तोड़ते हुए उसकी महक महसूस किये हुए,
होली का चंदा न मिलने पर लकड़ी की नेमप्लेट चुरा कर होलिका में जलाये,
चुल्लू नल से लगाकर पानी पीकर प्यास बुझाये हुए,
एक वो भी समय था
जब पानी पीते हुए गिलास के अन्दर आँखें देख लेती थीं,
शायद तब हमारा बाहर की दुनिया देखने का सही वक़्त नहीं था,
स्कूल के टिफिन में
माँ के हाँथ के बनाये पराठे - आलू, किसी जन्नत से कम न थे,
शाम होते ही पापा के घर आते ही सबका सीरिअस हो जाना,
सबका एक साथ बैठकर खाना खाना.
सब याद आता है .
रह रहकर
पर समय आज का भी अच्छा है
वर्तमान का मजा लेना जरुरी है,
क्योंकि ये भी बहुत देर रहेगा नहीं.
सच है, आने वाला पल जाने वाला है.
----------- आनंद (६ मई २०१२)